मैं भी बहुत अजीब हूं, इतना अजीब हूं कि बस
ख़ुद को तबाह कर लिया और मलाल भी नहींजो गुज़ारी न जा सकी हम से
हम ने वो ज़िंदगी गुज़ारी हैकौन इस घर की देख-भाल करे
रोज़ इक चीज़ टूट जाती हैयूं जो तकता है आसमान को तू
कोई रहता है आसमान में क्याकितने ऐश उड़ाते होंगे कितने इतराते होंगे
जाने कैसे लोग वो होंगे जो उस को भाते होंगेमैं भी बहुत अजीब हूं इतना अजीब हूं कि बस
ख़ुद को तबाह कर लिया और मलाल भी नहींमैं रहा उम्र भर जुदा ख़ुद से
याद मैं ख़ुद को उम्र भर आयाक्या बताऊं के मर नहीं पाता
जीते जी जब से मर गया हूं मैंरोया हूं तो अपने दोस्तों में
पर तुझ से तो हंस के ही मिला हूंहो रहा हूं मैं किस तरह बर्बाद
देखने वाले हाथ मलते हैंख़ूब है शौक़ का ये पहलू भी
मैं भी बर्बाद हो गया तू भीउस गली ने ये सुन के सब्र किया
जाने वाले यहां के थे ही नहींअपना ख़ाका लगता हूं
एक तमाशा लगता हूंसीना दहक रहा हो तो क्या चुप रहे कोई
क्यूं चीख़ चीख़ कर न गला छील ले कोईख़ूब है इश्क़ का ये पहलू भी
मैं भी बर्बाद हो गया तू भी
बदल जाए तमन्ना की इकाई अगर दहाई में बदल जाए, पहाड़ों सा मेरा जीवन रुबाई में बदल जाए। तुम अपने आप में ले लो तो मेरा शून्य सा जीवन, सफलता की किसी स्वर्णिम निताई में बदल जाए। जो मौन हैं उनके लिए एक मुक्तक- सांस के गीत को सांस गुन ले अगर, आंख के सीप अश्क चुन ले अगर, प्रेम का पूर्ण संवाद हो जाएगा, मौन ने जो कहा, मौन सुन ले अगर। धन्यवाद, अच्छा सुन रहे हैं तो मेरा भी मन बढ़ गया है, मैं सोचती हूं कि एक गीत सुना दूं- अकेले बैठकर तुमको कभी जब याद करती हूं, मैं तुमको याद करती हूं, हां तुमको याद करती हूं, मैं रोना मुस्कुराना हाय दोनों साथ करती हूं, अकेले। इसका पहला अंतरा पढ़ती हूं, जब प्रेम में होते हो तो किस तरह मोबेलिटी बढ़ जाती है जरा सुनिएगा यहीं सोफे पर बैठकर सात अंबर घूम आती हूं, तुम्हारा नाम जपती हूं नशे में झूम जाती हूं। कहां हूं मैं जहां मेरी खबर मुझ तक नहीं आती। क्या मेरी गुमशुदी की ये खबर तुम तक नहीं जाती। गली दिल की तुम्हारी याद से आबाद करती हूं, अकेले बैठकर जब कभी मैं याद करती हूं। क्या होता है जब वो चला जाता है कैसा माहौल होता ...
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